महिला एवं बाल विकास विभाग की योजनाएं
नवाबिहान
योजना
घरेलू
हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 के क्रियान्वयन के लिए राज्य शासन
द्वारा नवाबिहान योजना संचालित है। अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार प्रत्येक जिले
में महिला संरक्षण अधिकारी की पदस्थापना की गई है।
सुविधा
व सहायताः-योजना
के अंतर्गत पीड़ित महिला को आवश्यकतानुसार विधिक सलाह, परामर्श, चिकित्सा, सुविधा, परिवहन
तथा आश्रय सुविधा उपलब्ध कराने हेतु प्रावधान रखा गया है।
सम्पर्कः-जिला
कार्यक्रम अधिकारी/जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी/ परियोजना अधिकारी/संरक्षण
अधिकारी/सखी के केन्द्र प्रशासक।
बिलासपुर
: सुश्री सीमा गोस्वामी 70897-30583
विभागीय
योजनाये
1.
नवाबिहान योजना
2.
स्वावलंबन योजना
3.
सक्षम योजना
4.
ऋण योजना
5.
संस्कार अभियान
6.
मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजना
7.
पोषण अभियान
8.
मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान
9.
महतारीजतन योजना
10. एकीकृत
बाल संरक्षण योजना
11. छत्तीसगढ़
मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना
12. पूरक
पोषण आहार कार्यक्रम
13. महिला
जागृति शिविर
14. महिला
स्व-सहायता समूह गठन एवं सशक्तिकरण
15. किशोरी
बालिकाओं के लिए योजना
16. समेकित
बाल विकास सेवा योजना
17. स्वैच्छिक
संगठनों के लिए अनुदान
स्वावलंबन
योजना
पात्रता:-
ऐसी महिलाओं जिनके पति की मृत्यु हो चुकी है अथवा 35 से 45 आयु वर्ग की अविवाहित
महिलाओं अथवा कानूनी तौर पर तलाकशुदा महिलाओं को कौशल प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाता
है। यौन उत्पीड़न, एचआईवी पाजिटिव एवं तृतीय लिंग (Trans Gender) हितग्राही भी योजना का लाभ लेने की पात्रता रखेगी।
प्रशिक्षणः-
समस्त प्रशिक्षण मुख्यमंत्री कौशल विकास योजनांतर्गत व्ही.टी.पी. के माध्यम से
दिये जाते है।
सम्पर्कः-जिला
कार्यक्रम अधिकारी/जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी/ परियोजना
अधिकारी/पर्यवेक्षक/आंगनबाड़ी कार्यकर्ता।
सक्षम योजना
योजना
छत्तीसगढ़ महिला कोष द्वारा 2009-10 से आरम्भ की गई है।
पात्रताः-
प्रदेश में गरीबी रेखा अन्तर्गत जीवन-यापन करने वाली ऐसी महिलाओं जिनके पति की
मृत्यु हो चुकी है अथवा 35 से 45 आयु वर्ग की अविवाहित महिलाएं अथवा कानूनी तौर पर
तलाकशुदा महिलायें। यौन उत्पीड़न, एचआईवी
पाजिटिव एवं तृतीय लिंग (Trans Gender) हितग्राही भी
योजना का लाभ लेने की पात्रता रखेगी।
ऋण:-
स्वयं का व्यवसाय आरम्भ करने हेतु ऋण सीमा में वृद्धि करते हुए 40 हजार रूपये के
गुणांक में राशि 02 लाख रूपये तक ऋण आसान किश्तों में ऋण प्रदाय किया जाता है।
उक्त ऋण की वापसी 5 वर्षों में केवल 3 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज दर पर किस्तों
में की जाती है। यह संशोधन आदेश दिनांक 28.09.2021 से लागू है।
ऋण योजना
उद्देश्यः-छत्तीसगढ़
राज्य में महिलाओं को समाजिक एवं आर्थिक रूप से सशक्त किये जाने के उद्देश्य से
छत्तीसगढ़ महिला कोष द्वारा महिला स्व-सहायता समूहों को आसान शर्तों पर ऋण उपलब्ध
कराना।
पात्रता
एवं ऋण:-योजना अंतर्गत 3 प्रतिवर्ष वार्षिक साधारण ब्याज दर पर प्रथम बार में 1.00
लाख से 2.00 लाख रूपये तक (वसूली 24 किस्तों में) तथा द्वितीय बार में 2.00 लाख से
4.00 लाख रूपये तक का ऋण(वसूली 36 किस्तों में ) प्रदाय किया जाता है। यह संशोधन
आदेश दिनांक 28.09.2021 से लागू है।
यौन
उत्पीड़न एवं एच.आई.व्ही. पीड़ित महिलाओं को शासकीय चिकित्सक द्वारा प्रदाय चिकित्सा
प्रमाण पत्र के आधार पर आर्थिक गतिविधियों से जोड़े जाने हेतु प्राथमिकता के आधार
पर पात्रता की अन्य शर्ते पूर्ण करने पर ऋण प्रदान किया जा सकेगा । इन महिलाओं को
जिला प्रबंधक, छत्तीसगढ़ महिला कोष के माध्यम से
प्रस्तुत प्रस्तावों पर जिला कलेक्टर स्वीकृति उपरांत 10000/-रूपये (शब्दों में
रूपये दस हजार मात्र) का व्यक्तिगत ऋण 3 प्रतिशत साधारण ब्याज की दर पर उपलब्ध
कराये जायेंगे। इन महिलाओं द्वारा स्व-सहायता समूह का गठन किये जाने पर समूह को
1.00 लाख (शब्दों में रूपये एक लाख मात्र) की ऋण राशि 3 प्रतिशत साधारण ब्याज की
दर पर स्वीकृत की जावेगी। यह ऋण जिला कलेक्टर के अनुमोदन से संबंधित जिला प्रबंधक
प्रदान करेंगे। योजना के तहत अन्य शर्ते यथावत रहेंगी। तृतीय लिंग (Trans Gender) हितग्राही भी इन योजना का लाभ लेने की पात्रता
रखेगी।
संस्कार
अभियान
संस्कार
अभियान का मुख्य उद्देश्य गर्भ धारण से 06 वर्ष की आयु तक बच्चों के सर्वांगीण
विकास हेतु आवश्यक आधार भूत संरचना , वातावरण
एवं गुणवत्ता पूर्ण सेवाएं उपलब्ध कराते हुए आंगनबाड़ी केन्द्रों का उन्नयन करना
है।संस्कार अभियान के अंतर्गत आंगनवाड़ी केन्द्रों का आकर्षक रंग रोगन , बच्चों
के बैठने की जगह , विभिन्न गतिविधियों के लिए स्थान का
चिन्हांकन , बच्चों की सुविधा के अनुरूप विभिन्न
शैक्षणिक सामग्री का प्रदर्शन , आकर्षक
वातावरण का निर्माण , प्रत्येक वस्तु हेतु निर्धारित स्थान
एवं सुव्यवस्थित कक्ष जैसी बातों पर ध्यान दिया गया है।
संस्कार
अभियान के तहत आंगन बाड़ी केन्द्रों को संसाधन सामग्री उपलब्ध कराई गई है , जिसमें
प्रारंभिक बाल्या वस्था देख रेख एवं शिक्षापाठ्य चर्या]आंगनबाड़ी केंद्र में
शालापूर्व शिक्षा प्रदाय के लिए 52 सप्ताह के समय –
सारिणी
, लगभग 360 गतिविधि युक्त गतिविधि
कोष]थीम पुस्तिका ]3-6 वर्ष के बच्चों के लिए आयु अनुसार पृथक-पृथक गति विधि
पुस्तिकाए वं बाल आकलन पत्रक शामिल है।
1.
अभियान अंतर्गत गुणवत्तापूर्ण
प्रारंभिक बाल्यावस्था देख रेख एवं शिक्षा प्रदाय हेतु विभागीय अमले का क्षमता
संवर्धन किया गया है।राज्यस्तर पर 1600 से अधिक प्रतिभागियों तथा जिलास्तर पर लगभग
49]000 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सघन जीवंत प्रशिक्षण दिया गया।
2.
संस्कार अभियान के तहत 03 से 06 वर्ष
के बच्चों को आंगनबाड़ी केन्द्रों में निर्धारित समय सारिणी अनुसार शालापूर्व
शिक्षा प्रदान की जा रही है।
3.
इस वर्ष के अंत में द्वितीय चरण का
प्रशिक्षण प्रारंभ किया जा रहा है जिसमें विभागीय अमले को विशिष्ट विकास क्षेत्र
आधारित चार-चार दिवसीय प्रशिक्षण दिये जाने का प्रस्ताव है।
4.
प्रथम चरण में लगभग 49]000 आंगनबाड़ी
कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया जा चुका है।
मुख्यमंत्री
बाल संदर्भ योजना
मुख्यमंत्री
बाल संदर्भ योजना वर्ष 2009 से प्रारंभ की गई है।गंभीर कुपोषित बच्चों को कुपोषण
के चक्र से बाहर लाकर कुपोषण की दर में कमी हेतु योजना का संचालन किया जा रहा
है।योजना के तहत गंभीर कुपोषित एवं संकटग्रस्त बच्चों को चिकित्सकीय परीक्षण की
सुविधा , चिकित्सक द्वारा लिखी गई दवाएं तथा
आवश्यकतानुसार बाल रोग विशेषज्ञों की परामर्श की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।
1.
प्रत्येक विकासखंड में माह में 2 दिवस
संदर्भ दिवस के रूप में चिन्हांकित करने का प्रयास।
2.
बच्चों के संक्रमण की पहचान।
3.
निजी चिकित्सा परीक्षण संस्थान में
अधिकतम 300/-रूपये सीमा तक स्वास्थ्य जाWच की
व्यवस्था।
4.
एक हितग्राही को वर्ष भर में अधिकतम
500/-रूपये तक की दवाएं तथा आवश्यकता होने पर चिकित्सा अधिकारी के परामर्श से इससे
अधिक राशि की दवाए भी उपलब्ध कराई जा सकेगी।
5.
निजी शिशु रोग विशेषज्ञ की सेवा पर
सम्मान स्वरूप 1000/- रूपये का मानदेय एवं 500/-रुपये तक यात्रा व्यय का प्रावधान।
इसके
अतिरिक्त वर्ष 2016&17 से आवश्यकता पड़ने पर कुपोषित
बच्चों के परिवहन के लिए भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को राशि उपलब्ध कराई गई है।
पोषण अभियान
भारत
सरकार द्वारा कुपोषण के स्तर में कमी लाने के लिए एक वृहत अभियान के रूप में पोषण
अभियान का शुभारंभ किया गया है।यह शुभारंभ 08 मार्च 2018 को माननीय प्रधानमंत्री
द्वारा झुंझूनू , राजस्थान में किया गया है।पोषण अभियान
देश के सभी राज्यों में वित्तीय वर्ष 2017-18 से आगामी तीन वर्षों में चरण बद्ध
तरीके से लागू किया जा रहा है।प्रथम चरण में राज्य के 12 जिलों को लिया गया था तथा
द्वितीय चरण वर्ष 2018-19 से शेष 15 जिलों को लिया गया है।इस प्रकार राज्य के सभी
27 जिलों में पोषण अभियान क्रियान्वित है।पोषण अभियान के लक्ष्य एवं घटकांे का
विवरण निम्नानुसार है:-
अभियान
के लक्ष्य:-
पोषण
अभियान का लक्ष्य राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित किया गया है , जिसके
अनुसार 0 से 6 वर्ष आयु समूह के बच्चों , गर्भवती
महिलाओं एवं धात्री माताओं में विद्यमान कुपोषण स्तर को चरण बद्ध तरीके से प्रति
वर्ष 02 प्रतिशत की कमी लाते हुए 03 वर्षों में 06 प्रतिशत की कमी लाना लक्षित
किया गया है।
मुख्यमंत्री
सुपोषण अभियान
छत्तीसगढ़
राज्य में 06 वर्ष से कम आयु के बच्चों में व्याप्त कुपोषण एवं एनीमिया तथा 15 से
49 वर्ष आयु वर्ग की महिलाओं में व्याप्त एनीमिया एक चुनौती है जिसे जड़ से समाप्त
करने का निर्णय लिया गया। छत्तीसगढ़ राज्य में NFHS-4 के सर्वे
रिपोर्ट के अनुसार 05 वर्ष से कम आयुवर्ग केलगभग 37-7 प्रतिशत बच्चे कुपोषण एवं 15
से 49 वर्ष आयु वर्ग की 47 प्रतिशत महिलायें एनीमिया से पीड़ित है।
बच्चों
एवं महिलाओं के पोषण स्तर में सकारात्मक सुधार हेतु आदिवासी बाहुल्य दंतेवाड़ा जिले
में माननीय मुख्यमंत्रीजी की मंशानुसार ‘‘सुपोषित दंतेवाड़ा
अभियान‘‘ दिनांक 24 जून 2019 में प्रारंभ किया गया।अभियान की
सफलता को देखते हुये प्रदेश के अन्य जिलों में भी गांधीजी के 150 वीं जयंती के
अवसर पर 02 अक्टूबर 2019 से मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान प्रारंभ किया गया है।
अभियान
का प्रमुख उद्देश्य 06 वर्ष आयु तक के बच्चे में कुपोषण एवं एनीमिया तथा 15 से 49
आयु वर्ग की महिलाओं को एनीमिया से मुक्त करना है। अभियान अंतर्गत प्रदेश के लगभग
1-85 लाख हितग्राहियों को गर्म भोजन एवं 3-53 लाख हितग्राहियों को अतिरिक्त पोषण
आहार के रूप में अण्डा,
चिकी, लड्डू, मूंगफली,
दलिया आदि प्रदान किया जा रहा है।इसके अतिरिक्त एनीमिक बच्चे एवं
महिलाओं के आई.एफ.ए. अथवा सिरप कृमि नाशक दवा एवं व्यवहार तथा खान पान में
सकारात्मक परिवर्तन के लिए परामर्श सेवाएँ दी जा रही है।
इस
अभियान की मुख्य बात यह है कि अभियान का क्रियान्वयन जन सहयोग एवं सहभागिता से
किया जा रहा है।इस अभियान के क्रियान्वयन में होने वाले व्यय की प्रति पूर्ति जिला
स्तर पर उपलब्ध खनिज न्यास निधि एवं सी.एस.आर. मद तथा जन सहयोग से प्राप्त धनराशि
से किया जा रहा है ।इसके लिए मुख्यमंत्री सुपोषण निधि का गठन किया गया है।
जिले
की परिस्थिति एवं आवश्यकता अनुरूप अभियान का संचालन के लिए जिला स्तर पर कार्य
योजना एवं रणनीति तैयार कर क्रियान्वयन किया जा रहा है।
इस
अभियान को 03 वर्ष के लिए चलाये जाने का निर्णय लिया गया है।अभियान को योजना बद्ध
तथा सतत्जारी रखने के लिए अभियान को योजना का रूप देने पर विचार किया जा रहा है।
महतारीजतन
योजना
योजना
के तहत आंगनवाड़ी केन्द्र के माध्यम से आकर्षक थाली गर्भवती महिलाओं को पृथक-पृथक
मेन्यू अनुसार प्रदाय की जा रही है]जिसमें चांवल, दाल, रोटी, रसेदार व सूखी सब्जी, अचार,
पापड़ सलाद आदि दिया जा रहा है।इसके अतिरिक्त महिलाओं को घर ले जाने
हेतु प्रतिदिन 75 ग्राम के मान से (सप्ताह में 06 दिवस हेतु) 450 ग्राम का
साप्ताहिक पैकेट रेडी टू ईट दिया जाने का प्रावधान है।प्रदेश में लगभग 1-61 लाख
महिलाओं को इस योजना से लाभांवित किया जा रहा है।वर्ष 2019&20 में इस हेतु 23-50 करोड़ रूपये का बजट प्रावधान किया गया है।
छत्तीसगढ़
मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना
प्रदेश
में गरीब परिवारों को कन्या के विवाह के सम्बन्ध में होने वाली कठिनाई को देखते
हुए मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना लागू की गई है।
उद्देश्यः-
गरीब
परिवारों को कन्या के विवाह के संदर्भ में होने वाली आर्थिक कठिनाईयों का निवारण, विवाह
के अवसर पर होने वाले फिजूलखर्ची को रोकना एवं सादगीपूर्ण विवाहों को बढ़ावा देने, सामूहिक
विवाहों के आयोजन के माध्यम से मनोबल/आत्मसम्मान में वृद्धि एवं उनकी सामाजिक
स्थिति में सुधार, सामूहिक विवाहों का प्रोत्साहन तथा
विवाहों में दहेज के लेन-देन की रोकथाम करना।
योजनांतर्गत
सहायताः-
गरीबी
रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले परिवार/मुख्यमंत्री खाद्यान्न योजना अन्तर्गत
कार्डधारी परिवार की 18 वर्ष से अधिक आयु की अधिकतम दो कन्याओं को योजना अन्तर्गत
लाभ दिलाया जाना है। योजना अन्तर्गत प्रत्येक कन्या के विवाह हेतु अधिकतम 25,000/-
रूपये की राशि व्यय किए जाने का प्रावधान है। इसमें से वर-वधु हेतु श्रृंगार
सामग्री पर राशि 5,000/- रूपये, अन्य
उपहार सामग्री पर राशि 14,000/- रूपये, वधु
को बैंक ड्राफ्ट के रूप में राशि 1,000/- रूपये तथा सामूहिक विवाह आयोजन पर प्रति
कन्या राशि 5,000/-रूपये तक व्यय की जा सकती है। राज्य शासन द्वारा मुख्यमंत्री
कन्या विवाह योजना अन्तर्गत विधवा/अनाथ/निराश्रित कन्याओं को भी शामिल किया गया
है।
संपर्कः-
आंगनबाड़ी
कार्यकर्ता, पर्यवक्षेक, बाल
विकास परियोजना अधिकारी, जिला कार्यक्रम अधिकारी/जिला महिला
एवं बाल विकास अधिकारी।
पूरक
पोषण आहार कार्यक्रम
समेकित
बाल विकास परियोजनाओं में पूरक पोषण आहार की व्यवस्थाः-
प्रदेश
में एकीकृत बाल विकास सेवाएँ (आई.सी.डी.एस) अंतर्गत आँगनवाडी केन्द्रों द्वारा दी
जाने वाली छः सेवाओं में से पूरक पोषण आहार एक महत्वपूर्ण सेवा हैं । आँगनवाडी
केन्द्रों के माध्यम से 6 माह से 3 वर्ष आयु के बच्चों, 3
वर्ष से 6 वर्ष आयु के बच्चों तथा गर्भवती व शिशुवती महिलाओं को पूरक पोषण आहार का
प्रदाय किया जाता हैं । हितग्राहियों को वर्तमान में प्रदाय किये जा रहे पूरक पोषण
आहार का विवरण निम्नानुसार हैं -
नाश्ता
एवं गर्म पका हुआ भोजन:-
आँगनवाडी
केन्द्रों में आने वाले 3 से 6 वर्ष के आयु के सामान्य एवं गंभीर कुपोषित बच्चों
को गर्म पके हुए भोजन (105 ग्राम) के साथ-साथ नाश्ता भी दिया जाता हैं । नाश्ते
में रेडी टू ईट फूड (75 ग्राम), उबला
भीगा चना, देशीगुड़ (50 ग्राम), भुना
मुंगफली दाना, गुड़ (38 ग्राम) प्रतिदिन अलग-अलग
नाश्ता चक्रानुक्रम में प्रदाय किया जाता हैं । 3 से 6 वर्ष आयु के गंभीर कुपोषित
बच्चों को उपरोक्तानुसार नाश्ता एवं गर्म पके हुए भोजन के साथ अतिरिक्त रूप से
रेडी-टू-ईट फूड (85 ग्राम) का प्रदाय किया जाता हैं । नाश्ता एवं चावल आधारित गर्म
पके हुए भोजन का प्रदाय महिला स्व सहायता समूहों,
ग्राम
पंचायतो, नगरीय निकायों के माध्यम से किया जा
रहा हैं ।
रेडी-टू-ईट
फूड :-
6
माह से 3 वर्ष के आयु के सामान्य बच्चों को 135 ग्राम, 6
माह से 3 वर्ष आयु के गंभीर कुपोषित बच्चों को 211 ग्राम तथा गर्भवती व शिशुवती
महिलाओं को 165 ग्राम रेडी-टू-ईट फूड का प्रदाय प्रतिदिन के मान से टेक होम राशन
के अंतर्गत साप्ताहिक रूप से किया जाता हैं । गेहूँ आधारित रेडी-टू-ईट फूड का
निर्माण एवं प्रदाय का कार्य महिला स्व सहायता समूहों द्वारा किया जा रहा हैं ।
पूरक पोषण आहार कार्यक्रम के अंतर्गत 6 माह से 6 वर्ष के 20.84 लाख बच्चों तथा
4.69 लाख गर्भवती व शिशुवती महिलाओं, इस
प्रकार कुल 25.53 लाख हितग्राहियों को लाभांवित किया जा रहा हैं । वित्तीय वर्ष
2013-14 में पूरक पोषण आहार कार्यक्रम हेतु 460 करोड़ रू. का बजट प्रावधान किया
गया हैं ।
किशोरी
बालिकाओं के सशक्तिकरण से संबंधित सबला योजना अंतर्गत पूरक पोषण आहार कार्यक्रमः-
किशोरी
बालिकाओं के सशक्तिकरण से संबंधित सबला योजना के अंतर्गत किशोरी बालिकाओं को भी
पूरक पोषण आहार का प्रदाय किया जा रहा है । योजना के अंतर्गत 11 से 14 वर्ष आयु की
शाला त्यागी किशोरी बालिकाओ तथा 14 से 18 आयु वर्ग की सभी किशोरी बालिकाओं को
प्रतिदिन 5/- रू. के मान से पूरक पोषण आहार का प्रदाय किया जा रहा हैं । इस योजना
में पूरक पोषण आहार कार्यक्रम, केन्द्र
प्रवर्तित योजना के रूप में लागू किया गया हैं, अर्थात्
पूरक पोषण आहार कार्यक्रम पर होने वाले वास्तविक व्यय का 50 प्रतिशत केन्द्र शासन
द्वारा तथा 50 प्रतिशत राज्य शासन द्वारा वहन किया जा रहा है । सबला योजना राज्य
के रायपुर, बस्तर,
रायगढ़, राजनांदगांव
गरियाबंद, बलौदाबाजार, कोण्डागांव
सूरजपूर बलरामपुर एवं सरगुजा जिलों में लागू है।
पूरक
पोषण आहार संबंधी जानकारी (वर्ष 2010-11)
सुप्रीम
कोर्ट में दायर हलफनामा
1.
पूरक पोषण आहार & व्यवस्था
अंतर्गत नास्ता व् गर्म भोजन प्रदान हेतु निर्देश वर्ष 2009 _1
2.
पूरक पोषण आहार & व्यवस्था
अंतर्गत रेडी-टू-ईट फूड हेतु निर्देश वर्ष 2009_2
3.
पूरक पोषण आहार & व्यवस्था
अंतर्गत टेक होम राशन प्रदाय हेतू निर्देश
4.
सबला योजनांतर्गत किशोरी बालिकाओं को
पूरक पोषण आहार (रेडी टू ईट) प्रदाय हेतु दरों में संशोधन विषयक निर्देश 2013 ।
5.
भारत शासन के ICDS के
सुदृढ़ीकरण एवं पुनर्गठन के निर्देशो के फलस्वरूप पूरक पोषण आहार कार्यक्रम अंतर्गत
संशोधित दरों अनुसार प्रदेश की आंगनवाड़ी केन्द्रो क माध्यम से हितग्राहियाे के लिए
रेडी टू ईट फुड हेतु संशोधित निर्देश 2013 ।
6.
पूरक पोषण आहार कार्यक्रम अंतर्गत
संशोधित दरों अनुसार प्रदेश की आंगनवाड़ी केन्द्रो क माध्यम से हितग्राहियाे के लिए
रेडी टू ईट फुड हेतु संशोधित निर्देश 2013 ।
7.
भारत शासन के ICDS के
सुदृढ़ीकरण एवं पुनर्गठन के निर्देशो के फलस्वरूप पूरक पोषण आहार कार्यक्रम अंतर्गत
संशोधित दरों अनुसार प्रदेश की आंगनवाड़ी केन्द्रो क माध्यम से हितग्राहियाे के लिए
नाश्ता एवं गर्म भोजन हेतु संशोधित निर्देश 2013 ।
8.
पूरक पोषण आहार कार्यक्रम अंतर्गत
संशोधित दरों अनुसार प्रदेश की आंगनवाड़ी केन्द्रो क माध्यम से हितग्राहियाे के लिए
नाश्ता एवं गर्म भोजन हेतु संशोधित निर्देश 2013 ।
महिला
जागृति शिविर
योजना का उद्देश्यः-
महिलाओं
को उनके कानूनी अधिकारों, प्रावधानों के प्रति जागृत करना, विभिन्न
सामाजिक कुप्रथाओं के विरूद्ध महिलाओं को जागृत व संगठित करना तथा विभिन्न योजनाओं
की जानकारी देकर उन्हें योजनाओं का लाभ उठाने के लिए प्रेरित करना।
आयोजन:-
विभाग
द्वारा इस हेतु प्रदेश के ग्राम पंचायतों, जनपद
एवं जिला स्तरों पर समय-समय पर महिला जागृति शिविरों का आयोजन किया जाता है।
सम्पर्कः-
जिला
कार्यक्रम अधिकारी/जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी/ परियोजना अधिकारी/पर्यवेक्षक/आंगनबाड़ी कार्यकर्ता।
महिला
स्व-सहायता समूह गठन एवं सशक्तिकरण
जिलों
से प्राप्त प्रतिवेदन अनुसार 68071 महिला स्व-सहायता समूह गठित किये गये है ।
जिनके तहत लगभग 8.03 लाख महिलाएं संगठित हुई है,
तथा
इन समूहों द्वारा 53.08 करोड़ रूपये की राशि बचत की गई है । प्रदेश में महिला
स्वयं सहायता समूहों द्वारा स्कूल मध्यान्ह भोजन,
आंगनबाड़ी
पूरक पोषण आहार कार्यक्रम, आंगनबाड़ी केन्द्र के हितग्रहियों के
लिए रेडी टू ईट एवं सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत उचित मूल्य की दुकान के संचालन
के साथ-साथ विभिन्न कार्यो को कार्य किया जा रहा है ।
योजना
का उद्देश्य:-
1.
असंगठित ग्रामीण महिलाओं को संगठित
करना।
2.
महिलाओं को समूह में छोटी-छोटी बचत
करने तथा अपनी छोटी-मोटी जरूरतों की पूर्ति हेतु समूह में ही न्यूनतम दर पर
लेन-देन हेतु सक्षम बनाने में सहयोग प्रदान करना।
3.
महिलाओं का सामाजिक एवं आर्थिक
सशक्तिकरण।
संपर्क:-
आंगनबाड़ी
कार्यकर्ता, पर्यवेक्षक,
बाल
विकास परियोजना अधिकारी,
जिला
महिला एवं बाल विकास अधिकारी,
जिला
कार्यक्रम अधिकारी, संबंधित जिला कलेक्टर।
किशोरी
बालिकाओं के लिए योजना
भारत
शासन द्वारा किशोरी बालिकाओं के सशक्तिकरण के लिए नवीन सबला योजना 19 नवंबर 2010
से प्रारंभ की गई है । योजना देश के 200 जिलों में पायलेट रूप में प्रारंभ की गई
है जिसमें छत्तीसगढ़ के 10 जिले - रायपुर, राजनांदगांव, रायगढ़, बस्तर, बलौदाबाजार, गरियाबंद, कोण्डागांव, बलरामपुर, सूरजपूर
एवं सरगुजा शामिल हैं । योजनांतर्गत 11-18 वर्ष की किशोरी बालिकाओं के लिए
निम्नानुसार गतिविधियां आयोजित की जाती है -
1.
पोषण आहार प्रदाय
2.
आईएफए टेबलेट वितरण
3.
स्वास्थ्य जांच एवं संदर्भ सेवा
4.
स्वास्थ्य एवं पोषण शिक्षा
5.
परिवार कल्याण, ARSH (Adolescent Reproduction and Sexual Health) बच्चों
की देखभाल एवं गृह प्रबंधन पर मार्गदर्शन
6.
लाईफ स्किल एजुकेशन एवं लोक सेवाओं तक
पहुंच
7.
व्यवसायिक प्रशिक्षण
स्वैच्छिक
संगठनों के लिए अनुदान
राज्य
में महिला एवं बाल विकास तथा कल्याण के क्षेत्र में कार्यरत विभागीय मान्यता
प्राप्त स्वैच्छिक संगठनों को विभिन्न महिला एवं बाल कल्याण की गतिविधियों के
संचालन में सहयोग प्रदान करने हेतु अनुदान उपलब्ध कराया जाता है।
योजना
का उद्देश्यः-
महिला
एवं बच्चों के विकास तथा कल्याण के क्षेत्र में स्वैच्छिक संगठनों की भागीदारी को
प्रोत्साहित करना, इस क्षेत्र में कार्यरत स्वैच्छिक
संगठनों को बढ़ावा देना तथा उन्हें विभिन्न महिला एवं बाल कल्याण की गतिविधियों के
संचालन में सहयोग प्रदान करना / आर्थिक सहायता उपलब्ध कराना ।
निम्नलिखित
गतिविविधियों के लिए अनुदान दिये जाने का प्रावधान है:-
1.
बाल कल्याण गतिविधियों हेतु
अनुदान-बालवाड़ी सह दिवस देखभाल केन्द्र, झूलाघर, अनाथ
/ निराश्रित बच्चों के लिए बाल गृह, बाल
विकास केन्द्र, बच्चों के कल्याण/विकास के लिए
सृजनात्मक कार्य आदि ।
2.
महिला कल्याण गतिविधियों हेतु
अनुदान-शार्टहैण्ड / टायपिंग प्रशिक्षण, हेल्प
लाईन सह परामर्श केन्द्र, निराश्रित महिला/मानसिक विज्ञिप्त
महिलाओं के लिए महिला गृह, महिलाओं के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण, महिलाओं
के कल्याण / विकास के लिए सृजनात्मक कार्य, प्रदेश
के बाहर स्थित उत्कृष्ट प्रतिष्ठित प्रशिक्षण संस्थाओं / व्यावसायिक प्रतिष्ठानों
में महिलाओं को प्रशिक्षण आदि।
3.
विविध अनुदान - महिला एवं बाल कल्याण
के क्षेत्र में अनुसंधान कार्य, अन्य
विविध कार्य / गतिविधि जो उपरोक्त गतिविधियों में शामिल न हो।
संपर्क:-
बाल
विकास परियोजना अधिकारी, जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी /
जिला कार्यक्रम अधिकारी, संबंधित जिला कलेक्टर।
शक्ति
सदन
संकटग्रस्त
महिलाओं विधवा, निराश्रित, तिरस्कृत
एवं परित्यक्ता को आश्रय व सहारा प्रदान करने तथा निःशुल्क परिपालन व पुर्नवास
करना एवं बच्चों तथा महिलाओं की मानव तस्करी और व्यावसायिक यौन शोषण से पीड़ितों के
बचाव, पुनर्वास और उन्हें समाज में पुनः
जोड़ने के लिए पूर्व में संचालित स्वाधार गृह एवं उज्जवला गृह को समाहित करते हुए
भारत शासन की अम्ब्रेला योजना मिशन शक्ति के अंतर्गत शक्ति सदन योजना का संचालन
किया जा रहा है। प्रदेश में वर्तमान में 04 शक्ति सदन का संचालन कोरबा, कोरिया, बिलासपुर
एवं सरगुजा जिले में स्वैच्छिक संगठनों के माध्यम से किया जा रहा है। इस योजना में
केन्द्र एवं राज्य का अंशदान 60ः40 का है।
संस्था
में इन महिलाओं के निःशुल्क आवास, भरण-पोषण, चिकित्सा/स्वास्थ्य
सुविधा, शिक्षण,
प्रशिक्षण, विधिक
सहायता और पुर्नवास व्यवस्था की जाती है।
सम्पर्कः-सम्बन्धित
जिले के जिला कार्यक्रम अधिकारी/जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी।
संस्कार
ज्ञानपीठ शिक्षण समिति, पुराना आरटीओ ऑफिस के पीछे, नेहरू
नगर, बिलासपुर (छ.ग.)
सखी
(वन स्टॉप सेन्टर)
उद्देश्यः-पीड़ित
व संकटग्रस्त, जरूरतमंद महिला को एक ही छत के नीचे
उनकी आवश्यकतानुसार चिकित्सा, विधिक
सहायता, मनोवैज्ञानिक सलाह, पुलिस
सहायता, अस्थायी आश्रय, मानसिक
चिकित्सा, परामर्श सुविधा/सहायता तत्काल उपलब्ध
कराना ।
वन
स्टाप सेन्टर किनके लिये:- संकटग्रस्त/पीड़ि़त में वे सभी महिलाएं (18 वर्ष से कम
उम्र की बालिकाएं भी सम्मिलित है) जिन्हे सहायता की आवश्यकता है।
प्रदेश
के 27 जिले में ‘‘सखी’’
वन
स्टाप सेंटर संचालित है।
सुविधा
व सहायता:-
1.
आपातकालीन सहायता एवं बचाव।
2.
चिकित्सकीय सहायता।
3.
महिला को एफआईआर/डीआईआर/एनसीआर दर्ज
करने में सहायता उपलब्ध कराना।
4.
मनोवैज्ञानिक/सामाजिक/परामर्श/सलाह व
सहायता।
5.
विधिक सलाह/सहायता/विधिक परामर्श।
6.
आपातकालीन आश्रय सुविधा
सम्पर्कः-जिले
के जिला कार्यक्रम अधिकारी/जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी/ परियोजना
अधिकारी/पर्यवेक्षक/केन्द्र प्रशासन/आंगनबाड़ी कार्यकर्ता।
बेटी-बचाओ, बेटी-पढ़ाओ
भारत
शासन द्वारा बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओ योजना दिनांक 22 जनवरी 2015 से लागू की गई है।
छत्तीसगढ़ में सर्वप्रथम रायगढ़ जिले का चयन किया गया था, वर्ष
2018 में बीजापुर जिले को भी शामिल किया गया है। भारत शासन द्वारा वर्ष 2022-23
में मिशन शक्ति अंतर्गत जारी नवीन निर्देशों के तारतम्य में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
योजना का विस्तार राज्य के प्रत्येक जिले में किया गया है।
उद्देश्यः-
1.
बच्चों के जन्म के समय लिंग चयन तथा
विभेद को समाप्त करना।
2.
बालिकाओं की उत्तरजीविका व उनकी
सुरक्षा सुनिश्चित करना।
3.
बालिकाओं की शिक्षा को सुनिश्चित
करना।
4.
सम्पर्कः-सम्बन्धित जिले के जिला
कार्यक्रम अधिकारी/जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी।
प्रधानमंत्री
मातृ वन्दना योजना
उद्देश्यः-
गर्भवती एवं धात्री माताओं के पोषण स्तर में सुधार एवं उनकी मजदूरी की पूरक
प्रतिपूर्ति, हेतु योजना संचालित।
पात्रता:-
योजनांतर्गत ऐसी गर्भवती महिलाओं एवं स्तनपान कराने वाली माताओं को छोड़कर जो
केन्द्र सरकार या राज्य सरकारों या सार्वजानिक उपक्रमों के साथ नियमित रोजगार में
है या जो वर्तमान में लागू किसी कानून के अन्तर्गत समान लाभ प्राप्त कर रही है, सभी
गर्भवती महिलाएं एवं स्तनपान कराने वाली माताएं पात्र होगीं।
योजना
01.01.2017 से लागू की गई है, तथा
प्रथम जीवित संतान हेतु ही योजना का लाभ देय है।
योजना
अंतर्गत गर्भवती धात्री महिलाओं को प्रथम जीवित संतान के लिये तीन किस्तो में
5000/- रूपये राशि का भुगतान किये जाने का प्रावधान है।
सम्पर्कः-जिला
कार्यक्रम अधिकारी/जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी/ परियोजना
अधिकारी/पर्यवेक्षक/नजदीक के आंगनबाड़ी।
केंद्रीय
योजनाये
सखी
निवास
भारत
सरकार द्वारा 1972-1973 से शहरों, कस्बो
एवं ग्रामीण क्षेत्रों में कामकाजी महिलाओं को हॉस्टल सुविधा उपलब्ध कराने बाबत्
भवन निर्माण/किराये के भवन में हॉस्टल संचालन हेतु अनुदान प्रदान कर योजना का
क्रियान्वयन किया जा रहा था। भारत शासन द्वारा महिला कल्याण से संबंधित
कार्यक्रमों को संकलित करते हुए 01 अप्रैल 2022 से मिशन शक्ति की शुरूआत की गई है
जिसके अंतर्गत कामकाजी महिला हॉस्टल का नाम परिवर्तन करते हुए ‘‘सखी
निवास’’ के रूप में संचालित किये जाने का
प्रावधान किया गया है। योजना मेंं आंशिक संशोधन करते हुए अब भवन निर्माण हेतु दिये
जाने वाले अनुदान के स्थान पर प्रशासकीय व्यय एवं किराये के भवन में संचालन होने
पर भवन किराया दिये जाने का प्रावधान रखा गया है।
उद्देश्यः-
व्यावसायिक प्रतिबद्धताओं के कारण अपने परिवार से दूर रहने वाले कामकाजी महिलाओं, जॉब
ट्रेनिंग की महिलाएं, उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही बालिकाओं
के लिए सुरक्षित और किफायती आवास की उपलब्धता को बढ़ावा देना है।
सम्पर्कः-सम्बन्धित
जिले के जिला कार्यक्रम अधिकारी/जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी।
अभियान
संस्थान : निवेदिता कामकाजी महिला हास्टल, चितले
कालोनी पुल के पास, नेहरू नगर बिलासपुर
प्लाट
नं. 20, खसरा न. 175/4, चाटीडीह, बिलासपुर
राष्ट्रीय
शिशुगृह योजना
योजनांतर्गत
0-5 वर्ष आयु वर्ग के बच्चो को दिवस देखभाल सुविधायें उपलब्ध कराई जाती है। यह
योजना पंजीकृत स्वैच्छिक संगठनो, महिला
मंडलो तथा राज्य / संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन के माध्यम से संचालित की जाती है
।योजना के तहत ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता की मासिक आय 1800/-रूपये से कम है, कृषि
श्रमिको के बच्चे, अजा / अजजा जनजाति वर्ग के बच्चे, रोजगारोन्मुखी
योजनाओ जैसे स्टेप / नोराड में कार्यरत महिलाओ के बच्चे तथा साम्प्रदायिक दंगो के
शिकार परिवारो के बच्चे सहायता / लाभ प्राप्त करने के पात्र है।
योजना
अंतगर्त सामान्य शिशुगृह केन्द्रों तथा आंगनबाड़ी-सह-शिशुगृह केन्द्रो के लिये
सहायता प्रदान की जाती है।
स्वैच्छिक
संगठनों को सामान्य अनुदान
योजनान्तर्गत
महिला एवं बाल विकास के क्षे़त्र में ऐसे कार्यकलापों को शुरू करने के लिए जो
विभाग के अन्य किसी भी कार्यक्रम में शामिल नहीं है,
के
लिए, विभिन्न अभिकरणों यथा स्वैच्छिक संगठन
/ संस्थान,विश्वविद्यालय, अनुसंधान
संस्थायें, जिनमें केन्द्रीय सरकार / राज्य
सरकारों / सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों / स्थानीय प्राधिकरणों / सहकारी संस्थाओं
के द्वारा स्थापित एवं वित्त पोषित संस्थायें एवं संगठन शामिल है, को
वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। आवर्ती तथा अनावर्ती मद में अनुमोदित लागत के
90 प्रतिशत तक वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है तथा शेष 10 प्रतिशत संबंधित
अभिकरणों को वहन करना होता है।
स्वैच्छिक
संगठनों को संगठनात्मक सहायता
महिलाओं
तथा बच्चों के लिए कल्याण योजनाओं का कार्यान्वयन कर रहे स्वैच्छिक संगठनों के
केन्द्रीय कार्यालयों की अनुरक्षण लागत की कमी को पूरा करने के उद्देश्य से
योजनान्तर्गत संबंधित संगठनों को अनुदान सहायता दी जाती है ताकि उनकी गतिविधियों
को निपुणतापूर्वक एवं निर्बाध रूप से चलाया जा सके।
विभागीय
संस्थाये
1.
मातृ-कुटीर
2.
बालवाड़ी सह-संस्कार केन्द्र
3.
बाल गृह
4.
नारी निकेतन
मातृ-कुटीर
मातृ
कुटीर (धात्री मां) नामक संस्था राजनांदगांव तथा बिलासपुर में संचालित की जा रही
है। वर्ष2005-06 से यह संस्था जगदलपुर एवं दुर्ग जिले में भी प्रारंभ की गई है ।
संस्था में 3-4 अनाथ बच्चों तथा एक निराश्रित महिला को एक साथ परिवार के रूप में
गठित कर पारिवारिक वातावरण में माँ व बच्चों के निःशुल्क परिपालन, पोषण
एवं बच्चों के शिक्षण प्रशिक्षण, स्वास्थ्य
की देखभाल आदि की सुविधा मुहैया कराई जा रही है। बच्चे वयस्क होने और स्थापित होने
तक संस्था में रहते हैं।
योजना
का उद्देश्यः-
अनाथ
बच्चों व निराश्रित महिला को एक परिवार के रूप में एक इकाई का गठन कर पारिवारिक
वातावरण निर्मित करना ताकि बच्चों को धात्री मां का व महिला को बच्चों का स्नेह
मिल सके। छत्तीसगढ़ प्रदेश में बिलासपुर तथा राजनांदगांव में मातृ कुटीर संचालित
है। दुर्ग एवं जगदलपुर में भी मातृ-कुटीर संस्था के संचालन की स्वीकृति प्रदान की
गई है ।
संपर्कः-
जिला
कार्यक्रम अधिकारी / जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी।
बालवाड़ी
सह-संस्कार केन्द्र
0
से 6 आयु वर्ष के बच्चों के मानसिक तथा शारीरिक विकास के लिए राज्य में रायपुर तथा
बिलासपुर में शासकीय बालवाड़ी सह-संस्कार केन्द्र संचालित है। केन्द्र के माध्यम
से महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई,
बुनाई
आदि का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। इन केन्द्रों के माध्यम से वर्ष में कुल 100
हितग्राही लाभान्वित किये जा सकते है ।
योजना
का उद्देश्यः-
गरीबी, पिछड़ी, मजदूर, महिला
एवं बच्चों को इन केन्द्रों के माध्यम से संस्कारित करना।
बच्चों
को शारीरिक-बौद्धिक विकास के खेल खिलाना, भाषा
का विकास करना तथा बच्चों का मनोरंजन कर, उन्हें
व्यक्तिगत व सामाजिक व्यवहार का ज्ञान कराना तथा सामाजिक मूल्यों के संस्कार देना।
संपर्कः-
जिला
कार्यक्रम अधिकारी / जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी।
बाल
गृह
संस्था
में 18 वर्ष आयु तक के बच्चों को जिन्हे देख देख व संरक्षण की आवश्यकता हो उन्हे
सी डब्लयू सी के माध्यम से बाल गृह में प्रवेश दिलवाने के पश्चात् आवास, शिक्षण, भोजन, वस्त्र
तथा प्रशिक्षण की सुविधा दी जाती है। प्रदेश में 5 बाल गृह क्रमशः बालकों के लिए
कवर्धा, जगदलपुर तथा दुर्ग एवं रायपुर
बालिकाओं के लिए बिलासपुर तथा रायपुर में संचालित है।इन गृहों को बाल गृहों को में
परिवर्तित किया गया है ।
योजना
का उद्देश्यः-
18
वर्ष आयु तक के बच्चों को जिन्हे देख देख व संरक्षण की आवश्यकता हो उन्हे सी
डब्लयू सी के माध्यम से बाल गृह में प्रवेश दिलवाने के पश्चात् उन्हें स्वस्थ
वातावरण उपलब्ध कराना, उनका पालन-पोषण करना और सामाजिक, शैक्षणिक
संरक्षण प्रदान करना।
संपर्कः-
जिला
कार्यक्रम अधिकारी / जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी, संस्था
की अधीक्षिका।
नारी
निकेतन
अनाथ, विधवा, निराश्रित, तिरस्कृत, परित्यक्ता
महिलाओं को आश्रय व सहारा प्रदान करने तथा उनके निःशुल्क परिपालन व पुर्नवास के
लिए हमारे प्रदेश में तीन नारी निकेतनों का संचालन किया जा रहा है। ये नारी निकेतन
रायपुर, अम्बिकापुर एवं दंतेवाड़ा में संचालित
है । संस्था में इन महिलाओं के निःशुल्क आवास, भरण
पोषण, शिक्षण,
प्रशिक्षण
और पुर्नवास की व्यवस्था की जाती है। सामान्यतः सरपंच, नगरीय
निकाय, विधायक,
सांसद
पंजीकृत स्वयंसेवी संस्थाओं के अध्यक्ष और राजपत्रित अधिकारी द्वारा महिला की
आश्रय विहीनता संबंधी प्रमाण पत्र देने पर कलेक्टर की अध्यक्षता में संबंधित नारी
निकेतन संस्था की परामर्शदात्री समिति द्वारा संस्था में महिला को प्रवेश दिया
जाता है।
योजना
का उद्देश्यः-
16
वर्ष से अधिक आयु की अनाथ कन्याओं, अविवाहित
माताओं, विधवाओं, परित्यक्ताओं, तिरस्कृत
व बेसहारा महिलाओं को सामाजिक व शैक्षणिक संरक्षण प्रदान करना।
संपर्कः-
जिला
कार्यक्रम अधिकारी, जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी, नारी
निकेतन संस्था की अधीक्षिका एवं आवश्यकतानुसार कलेक्टर से भी संपर्क किया जा सकता
है।
एकीकृत
बाल संरक्षण योजना
1.
महिला एवं बाल विकास विभाग के Nodal Officers
2.
राज्य बाल संरक्षण समिति - SCPS
3.
राज्य दत्तक ग्रहण संसाधन अभिकरण - SARA
4.
जिला बाल संरक्षण इकाई - DCPU
5.
बाल कल्याण समिति - CWC
6.
किशोर न्याय बोर्ड - JJB
7.
बाल देख-रेख संस्थाएं - CCI
8.
उल्लास कार्यक्रम
विधि विवादित बच्चे तथा देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों के लिए संस्थागत देखरेख कार्यक्रम:-
किशोर
न्याय अधिनियम/समेकित बाल संरक्षण योजना के अन्तर्गत राज्य में संस्थागत देखरेख
कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं । देखेरख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों
के लिए राज्य में शासकीय बालगृह एवं अशासकीय बालगृह,
खुला
आश्रय गृह, विशेषीकृत दत्तक ग्रहण एजेंसी संचालित
है जबकि विधि विरूद्ध कार्य करने वाले बालकों के लिए राज्य में शासकीय सम्प्रेक्षण
गृह, विशेष गृह एवं प्लेस ऑफ सेफ्टी
संचालित है।
बाल
सम्प्रेक्षण गृह –
1.
विधि विरूद्ध कार्य करने वाले बच्चों
को किशोर न्याय बोर्ड के आदेश पर बाल सम्प्रेक्षण गृह में रखा जाता है।
2.
राज्य के
रायपुर]दुर्ग]बिलासपुर]अम्बिकापुर]जगदलपुर]कोरबा एवं रायगढ़ में बालकों के लिए तथा
राजनांदगांव में बालिकाओं के लिए सम्प्रेक्षण गृह संचालित है।
विशेष
गृह -
1.
किशोर न्याय बोर्ड द्वारा दोषी पाये
जाने उपरांत बच्चों को सुधारात्मक उपचार हेतु विशेष गृह में रखने का आदेश दिया
जाता है। इसी प्रकार नवीन किशोर न्याय (बालको की देखरेख एवं सरंक्षण) अधिनियम 2015
के प्रावधानों के अनुसार गंभीर श्रेणी के विधि विरूद्ध कार्य करने वाले बच्चों को
विशेष गृह में रखा जा सकता है।
2.
वर्तमान में दुर्ग एवं अम्बिकापुर में
बालकों के लिए तथा राजनांदगांव में बालिकाओं के लिए विशेष गृह संचालित है।
प्लेस
ऑफ सेफ्टी –
1.
किशोर न्याय (बालको की देखरेख एवं
संरक्षण) अधिनियम 2015 की धारा 19(3)के अनुसार विधि विरूद्ध कार्य करने वाले ऐसे
बच्चे जिनकी उम्र 16 वर्ष से अधिक है एवं जिन्होंनेे गंभीर अपराध किया है उन्हें
किशोर न्याय बोर्ड/बाल न्यायालय के आदेश पर प्लेस ऑफ सेफ्टी में रखा जा सकता है।
2.
वर्तमान में रायपुर एवं बस्तर में
25-25की क्षमता का प्लेस ऑफ सेफ्टी संचालित है।
खुला
आश्रय गृह –
1.
घुमन्तू]सड़क पर कचरा बीनने वाले बच्चे
जिन्हें परिवार का सहयोग नहीं मिलता अथवा संकटग्रस्त ऐसे बच्चे जो बाल श्रमिक है
पर बाल श्रम अधिनियम के अंतर्गत नही हैं। ऐसे बच्चों को मुख्यधारा में लाने व
दिन-रात आश्रय प्रदान करने हेतु बालकों के लिए खुला आश्रय गृह राज्य के
रायपुर]दुर्ग]बिलासपुर, रायगढ़]जशपुर]अंबिकापुर]बस्तर]दंतेवाड़ा]एवं
कोरबा में संचालित है।
बालगृह
-
देखरेख
एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले ऐसे बच्चे जिन्हें दीर्घ अवधि के लिए आश्रय,देखरेख
एवं संरक्षण की आवश्यकता होती है उन्हें बालक कल्याण समिति के आदेश पर बाल गृह में
रखा जाता है। राज्य में 06शासकीय एवं 45अशासकीय बालगृह संचालित हैं।
जिले
में संचालित शासकीय बालगृह
शासकीय
बाल गृह, नूतन काॅलोनी चैक, सरकंडा,
बिलासपुर,
बालगृह (बालिका)
दत्तक
ग्रहण स्थापन एजेन्सी -
परित्यक्त तथा समर्पित बच्चे जिन्हें दत्तक पर दिया जाना होता है,उन बच्चों के लिए कार्यवाही दत्तक ग्रहण स्थापन एजेन्सी द्वारा की जाती है। इनकी क्षमता 10 बच्चों की होती है। वर्तमान में राज्य में रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर (दो ईकाई),रायगढ, दंतेवाडा,महासमुंद,कांकेर,कवर्धा, जशपुर एवं अम्बिकापुर में दत्तक ग्रहण एजेन्सी स्थापित है।
गैर संस्थागत देखरेख कार्यक्रम–
1
स्पांसरशिप कार्यक्रम –
इस
कार्यक्रम के अंतर्गत देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों को 2 हजार रूपये
प्रतिमाह के मान से अधिकतम तीन वर्ष के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करते हुए बच्चे
के जैविक माता-पिता के सान्निध्य में रखते हुए बच्चे की सुरक्षा एवं संरक्षण
सुनिश्चित किया जाना होता है। यह कार्यवाही किशोर न्याय (देखभाल एवं संरक्षण)
अधिनियम 2015 के प्रकाश में की जाती हैं।
2.
फास्टर केयर कार्यक्रम-फास्टर केयर कार्यक्रम के अंतर्गत पारिवारिक देखरेख से
वंचित बच्चों को अधिकतम तीन वर्ष के लिए किसी उपयुक्त व्यक्ति/परिवार की देखरेख
में रखा जा सकता है ताकि बच्चे की सुरक्षा एवं सरंक्षण सुनिश्चित हो सके। योजना के
अंतर्गत बच्चे की देखभाल के लिए उपयुक्त व्यक्ति/संस्था को 2 हजार रूपये प्रतिमाह
की वित्तीय सहायता प्रदान करने का प्रावधान है। यह कार्यवाही किशोर न्याय (देखरेख
और संरक्षण) अधिनियम 2015,के प्रकाश में की जाती हैं।
3.
आफ्टर केयर कार्यक्रम - यह कार्यक्रम उन बच्चों के लिए है जो संस्थागत देखरेख में
है एवं 18 वर्ष की आयु पूरी कर लेने के पश्चात् सामाजिक/शारीरिक /मानसिक/आर्थिक
रूप से स्वयं की देखभाल करने मे असमर्थ है। आफ्टर केयर कार्यक्रम के अंतर्गत ऐसे
बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए उन गतिविधियों की व्यवस्था की जाती है जिससे वह
स्वयं को सामाजिक/शारीरिक/मानसिक/आर्थिक रूप से सशक्त करते हुए समाज की मुख्य धारा
से जोड़ सके। योजना के अंतर्गत बच्चे की देखभाल के लिए 2 हजार रूपये प्रतिमाह की
वित्तीय सहायता अधिकतम 03 वर्ष अथवा 21 वर्ष की आयु तक, जो
भी पहले हो, प्रदान करने प्रावधान है।
राज्य
में संचालित बाल देखरेख संस्थाओं का अनिवार्य पंजीयन -
किशोर
न्याय अधिनियम 2015 की धारा 41के अनुपालन में राज्य में संचालित सभी बाल देखरेख
संस्थाओं के निरीक्षण उपरांत अनिवार्य पंजीयन किया जाना है। प्रावघानके अनुपालन
में राज्य शासन द्वारा समाचार पत्र में सूचना जारी कर सभी बाल देखरेख संस्थाओं को
पंजीकरण हेतु आवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिये गये। तत्पश्चात् जिला कलेक्टर
की अनुशंसा पर बाल देखरेख संस्थाओं को पंजीकृत/प्रावधिक पंजीकरण देते हुए किशोर
न्याय अधिनियम के मापदण्डों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिये गये
है।
एकीकृत
बाल संरक्षण योजना के अंतर्गत वैधानिक ईकाईयाँ
बाल
कल्याण समिति
1.
किशोर न्याय अधिनियम के अन्तर्गत बाल
कल्याण समिति सुरक्षा एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों के संबंध में निर्णय
देने के लिए सक्षम प्राधिकारी है । राज्य के सभी 27 जिलों में बालक कल्याण समिति
गठित है ।
2.
समिति में एक अध्यक्ष एवं 4 सदस्य (एक
महिला सदस्य) होते हैं। यह समिति मजिस्टेªट के
रूप में कार्य करती है और इन्हें वह सभी शक्तियां प्राप्त है जो दंड प्रक्रिया
संहिता 1973 (1974 का दो) द्वारा किसी महानगरीय न्यायिक मजिस्टेªट
को प्रदत्त की गई है ।
3.
समिति का गठन राज्य स्तरीय चयन समिति
जो कि उच्च न्यायालय के सेवा निवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित की गई है, के
द्वारा किया जाता है ।
किशोर
न्याय बोर्ड -
1.
किशोर न्याय अधिनियम के अन्तर्गत विधि
का उल्लंघन करने वाले बालकों के संबंध में निर्णय देने के लिए सक्षम प्राधिकारी
किशोर न्याय बोर्ड है ।
2.
बोर्ड में एक अध्यक्ष एवं दो सदस्य
(एक महिला सदस्य) होते हैं । बोर्ड के अध्यक्ष प्रथम श्रेणी के न्यायिक मजिस्टेªट
हैं जबकि सदस्यों के रूप में सामाजिक कार्यकर्ता का चयन राज्य स्तरीय चयन समिति
द्वारा किया जाता है ।
3.
राज्य के सभी 27 जिलों में किशोर
न्याय बोर्ड गठित है।
विशेष
किशोर पुलिस इकाई -
1.
किशोर न्याय अधिनियम की धारा 107 के
प्रावधानों के अनुसार पुलिस प्रशासन द्वारा सभी पुलिस जिलो में विशेष किशोर पुलिस
इकाई का गठन किया गया है।
2.
इकाई के अन्तर्गत उप पुलिस अधीक्षक
स्तर के अधिकारी बालक कल्याण अधिकारी के रूप में नामित है।
3.
यह इकाई देखेरख एवं संरक्षण की
आवश्यकता वाले बालकों एवं विधि विरूद्ध कार्य करने वाले बालकों के मामलों को सक्षम
प्राधिकारी तक पहुंचाती है ।
समेकित बाल संरक्षण योजना के अन्य कार्यकलाप:-
चाइल्डलाइन(1098)द्वारा
आकस्मिक सेवा –
1.
चाइल्डलाइन सुरक्षा एवं देख-रेख के
जरूरतमंद बच्चों के लिए 24 घंटे आकस्मिक फोन सेवा है जो उन्हें आपातकालीन सेवा एवं
दीर्घावधि देख-रेख एवं पुनर्वास सेवाओं से जोड़ती है। इस सेवा का प्रयोग कोई भी
संकटग्रस्त बच्चा या उसकी ओर से कोई अन्य 1098 (टोल फ्री नं.) पर फोन कर सकता है।
वर्तमान में रायपुर, दुर्ग,राजनांदगांव,बिलासपुर,रायगढ़,जशपुर,बस्तर,दंतेवाडा,कबीरधाम,कोरबा,अम्बिकापुर,कोरिया,बलरामपुर
एवं सूरजपुर में चाइल्ड लाईन की सेवाऐं उपलब्ध है।
2.
विकासखंड एवं पंचायत स्तर पर बाल
संरक्षण समितियों का गठन किया जा रहा है। बाल संरक्षण समितियों के माध्यम से
मैदानी स्तर पर बच्चों के देखरेख एवं संरक्षण की कार्यवाही में मदद मिलेगी।
0000000000000000000000000000000000000000000000000000000000
अठावले जी का स्थानीय स्तरीय समिति
राष्ट्रीय न्यास अधिनियम, 1999 की धारा 13 (1) के अनुसार, बोर्ड समय-समय पर इस तरह के क्षेत्रों को निर्दिष्ट करने के लिए एक स्थानीय स्तरीय समिति का गठन करेगा।
धारा
13 (2) के अनुसार एक स्थानीय स्तरीय समिति में निम्नलिखित सदस्य होंगे -
1.
संघ या राज्य की प्रशासनिक सेवा का एक
अधिकारी, जिसका पद जिला मजिस्ट्रेट या एक जिला
आयुक्त से नीचे नहीं होना चाहिए;
2.
A पंजीकृत संगठन का एक प्रतिनिधि; और; and
3.
A विकलांगता अधिनियम, 1995
(1996 की 1) की धारा 2 कि परिभाषा (समान अवसर, अधिकार
एवं पूर्ण भागीदारी के संरक्षण) के अनुसार एक दिव्यांगजन
सहयोजित अतिरिक्त सदस्य
स्थानीय स्तरीय समिति को कामकाज में उनकी सहायता करने के लिए वैधानिक सदस्यों के अलावा सहयोजित सदस्य के रूप में निम्नलिखित को शामिल करने के लिए सलाह दी गई है।
1.
जिला सामाजिक न्याय अधिकारी/जिला
कल्याण अधिकारी/जिला पुनर्वास अधिकारी,
2.
सिविल शल्य-चिकित्सक या मुख्य
चिकित्सा अधिकारी,
3.
जिला अस्पताल के मनोचिकित्सक
4.
जिले के प्रतिष्ठित वकील
5.
इसके अलावा स्थानीय स्तरीय समिति
मामले में न्याय प्रदान करने और प्रभावी कार्यकरण के लिए किसी भी अन्य सरकारी
अधिकारी या विकलांगता विशेषज्ञों को शामिल कर सकती है।
स्रोत --इसके अलावा स्थानीय स्तरीय समिति मामले में न्याय प्रदान करने और प्रभावी कार्यकरण के लिए किसी भी अन्य सरकारी अधिकारी या विकलांगता विशेषज्ञों को शामिल कर सकती है।
-श्रीमती शम्मी आबिदी आयुक्त, आदिम जाति विभाग
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