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पत्नी, बच्चों और माता-पिता के भरण-पोषण के आदेश: BNSS, 2023 की धारा 144

परिचय भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023, जो 1 जुलाई, 2024 से लागू हो गई है, के अध्याय X में पत्नी, बच्चों और माता-पिता के भरण-पोषण के आदेशों से संबंधित प्रावधान दिए गए हैं। इस अध्याय की धारा 144 उन व्यक्तियों पर लागू होती है जो पर्याप्त साधन होने के बावजूद अपने परिवार के भरण-पोषण का दायित्व निभाने में विफल रहते हैं।

इस धारा के अंतर्गत, प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट को ऐसे व्यक्ति को भरण-पोषण का आदेश देने का अधिकार दिया गया है।

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 144 का उद्देश्य उन व्यक्तियों की भरण-पोषण की आवश्यकताओं को सुनिश्चित करना है, जो स्वयं का भरण-पोषण करने में असमर्थ हैं।

यह धारा विशेष रूप से उन मामलों में सहायक है जहां पति, पिता या पुत्र अपने कर्तव्यों का पालन नहीं कर रहे हैं। इस धारा के तहत मजिस्ट्रेट को यह अधिकार दिया गया है कि वह ऐसे व्यक्तियों को भरण-पोषण भत्ता देने का आदेश दे और इस आदेश का पालन न करने पर आवश्यक दंड का प्रावधान करें।

इस लेख में हम धारा 144 के प्रावधानों का सरल भाषा में विस्तृत विश्लेषण करेंगे।

धारा 144 (1): भरण-पोषण का आदेश (Order of Maintenance)

धारा 144 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति जो पर्याप्त साधन रखता है, निम्नलिखित व्यक्तियों का भरण-पोषण करने में असमर्थ रहता है, तो प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट उसे भरण-पोषण का आदेश दे सकते हैं:

• उसकी पत्नी, जो स्वयं का भरण-पोषण करने में असमर्थ है।

• उसका वैध या अवैध बच्चा, चाहे वह विवाहित हो या अविवाहित, जो स्वयं का भरण-पोषण करने में असमर्थ है।

• उसका वैध या अवैध बच्चा (जो विवाहित बेटी नहीं है) जिसने पूर्णवयस्कता प्राप्त कर ली है और किसी शारीरिक या मानसिक विकलांगता या चोट के कारण स्वयं का भरण-पोषण करने में असमर्थ है।

• उसके पिता या माता, जो स्वयं का भरण-पोषण करने में असमर्थ हैं।


मजिस्ट्रेट उस व्यक्ति को निर्देश दे सकते हैं कि वह उपरोक्त में से किसी एक या अधिक व्यक्तियों को मासिक भरण-पोषण भत्ता प्रदान करे।

धारा 144 (2): भत्ता कब से देय होगा

मजिस्ट्रेट द्वारा दिए गए आदेश के अनुसार भरण-पोषण भत्ता उस आदेश की तारीख से या आवेदन की तारीख से देय होगा, जैसा कि मजिस्ट्रेट ने आदेश में निर्दिष्ट किया हो।

धारा 144 (3): आदेश का पालन न करने पर परिणाम

यदि कोई व्यक्ति मजिस्ट्रेट द्वारा दिए गए भरण-पोषण आदेश का पालन नहीं करता है, तो मजिस्ट्रेट उस व्यक्ति के खिलाफ वारंट जारी कर सकता है। इस वारंट के माध्यम से उस व्यक्ति की संपत्ति जब्त करके बकाया राशि की वसूली की जा सकती है।

यदि बकाया राशि वारंट के माध्यम से वसूल नहीं होती है, तो मजिस्ट्रेट उस व्यक्ति को एक माह तक की कारावास की सजा दे सकता है, जब तक कि वह भुगतान न कर दे।

उदाहरण: कल्पना करें कि एक व्यक्ति, राम, जो पर्याप्त साधन रखता है, अपनी पत्नी सीता का भरण-पोषण नहीं करता। सीता ने राम के खिलाफ भरण-पोषण के लिए मजिस्ट्रेट के पास आवेदन किया।

मजिस्ट्रेट ने राम को आदेश दिया कि वह सीता को 10,000 रुपये प्रति माह भरण-पोषण के रूप में दे। राम ने इस आदेश का पालन नहीं किया, तो मजिस्ट्रेट ने उसकी संपत्ति जब्त कर ली और बकाया राशि की वसूली की। यदि वसूली संभव नहीं होती, तो राम को कारावास की सजा हो सकती है।


धारा 144 (4): भरण-पोषण भत्ते से वंचित करने की शर्तें

धारा 144 के अनुसार, यदि पत्नी किसी अन्य पुरुष के साथ अवैध संबंध में है, तो उसे अपने पति से भरण-पोषण भत्ता प्राप्त करने का अधिकार नहीं होगा।

इसी तरह, यदि पत्नी बिना किसी पर्याप्त कारण के अपने पति के साथ रहने से मना कर देती है, तो वह भी भरण-पोषण भत्ता प्राप्त नहीं कर सकती है। यदि पति और पत्नी आपसी सहमति से अलग रह रहे हैं, तो इस स्थिति में भी पत्नी भरण-पोषण भत्ते की हकदार नहीं होगी।


धारा 144 (5): आदेश को रद्द करने का अधिकार

मजिस्ट्रेट को यह अधिकार है कि यदि यह साबित हो जाए कि पत्नी अवैध संबंध में है, या बिना किसी उचित कारण के अपने पति के साथ रहने से मना कर रही है, तो वह आदेश को रद्द कर सकता है।

नोट: कृपया मूल नवीन संशोधित कानून में लिखी धाराओं को आधार मानेl पारिवारिक विवाद के न्यायालय में वाद बढ़ते जा रहें हैl नए संशोधित कानूनों की एक प्रति हर भारतीय नागरिक रखेंl 

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