Skip to main content

Followers

महिला एवं बाल विकास 11

 एकीकृत बाल संरक्षण योजना

  1. महिला एवं बाल विकास विभाग के Nodal Officers
  2. राज्य बाल संरक्षण समिति - SCPS
  3. राज्य दत्तक ग्रहण संसाधन अभिकरण - SARA
  4. जिला बाल संरक्षण इकाई - DCPU
  5. बाल कल्याण समिति - CWC
  6. किशोर न्याय बोर्ड - JJB
  7. बाल देख-रेख संस्थाएं - CCI
  8. उल्लास कार्यक्रम

विधि विवादित बच्चे तथा देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों के लिए संस्थागत देखरेख कार्यक्रम:- किशोर न्याय अधिनियम/समेकित बाल संरक्षण योजना के अन्तर्गत राज्य में संस्थागत देखरेख कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं । देखेरख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों के लिए राज्य में शासकीय बालगृह एवं अशासकीय बालगृह, खुला आश्रय गृह, विशेषीकृत दत्तक ग्रहण एजेंसी संचालित है जबकि विधि विरूद्ध कार्य करने वाले बालकों के लिए राज्य में शासकीय सम्प्रेक्षण गृह, विशेष गृह एवं प्लेस ऑफ सेफ्टी संचालित है।

बाल सम्प्रेक्षण गृह

1.     विधि विरूद्ध कार्य करने वाले बच्चों को किशोर न्याय बोर्ड के आदेश पर बाल सम्प्रेक्षण गृह में रखा जाता है।

2.     राज्य के रायपुर]दुर्ग]बिलासपुर]अम्बिकापुर]जगदलपुर]कोरबा एवं रायगढ़ में बालकों के लिए तथा राजनांदगांव में बालिकाओं के लिए सम्प्रेक्षण गृह संचालित है।

विशेष गृह -

1.     किशोर न्याय बोर्ड द्वारा दोषी पाये जाने उपरांत बच्चों को सुधारात्मक उपचार हेतु विशेष गृह में रखने का आदेश दिया जाता है। इसी प्रकार नवीन किशोर न्याय (बालको की देखरेख एवं सरंक्षण) अधिनियम 2015 के प्रावधानों के अनुसार गंभीर श्रेणी के विधि विरूद्ध कार्य करने वाले बच्चों को विशेष गृह में रखा जा सकता है।

2.     वर्तमान में दुर्ग एवं अम्बिकापुर में बालकों के लिए तथा राजनांदगांव में बालिकाओं के लिए विशेष गृह संचालित है।

प्लेस ऑफ सेफ्टी

1.     किशोर न्याय (बालको की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 की धारा 19(3)के अनुसार विधि विरूद्ध कार्य करने वाले ऐसे बच्चे जिनकी उम्र 16 वर्ष से अधिक है एवं जिन्होंनेे गंभीर अपराध किया है उन्हें किशोर न्याय बोर्ड/बाल न्यायालय के आदेश पर प्लेस ऑफ सेफ्टी में रखा जा सकता है।

2.     वर्तमान में रायपुर एवं बस्तर में 25-25की क्षमता का प्लेस ऑफ सेफ्टी संचालित है।

खुला आश्रय गृह

1.     घुमन्तू सड़क पर कचरा बीनने वाले बच्चे जिन्हें परिवार का सहयोग नहीं मिलता अथवा संकटग्रस्त ऐसे बच्चे जो बाल श्रमिक है पर बाल श्रम अधिनियम के अंतर्गत नही हैं। ऐसे बच्चों को मुख्यधारा में लाने व दिन-रात आश्रय प्रदान करने हेतु बालकों के लिए खुला आश्रय गृह राज्य के रायपुर]दुर्ग]बिलासपुर, रायगढ़]जशपुर]अंबिकापुर]बस्तर]दंतेवाड़ा]एवं कोरबा में संचालित है।

बालगृह -

देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले ऐसे बच्चे जिन्हें दीर्घ अवधि के लिए आश्रय,देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता होती है उन्हें बालक कल्याण समिति के आदेश पर बाल गृह में रखा जाता है। राज्य में 06 शासकीय एवं 45 अशासकीय बालगृह संचालित हैं।

जिले में संचालित शासकीय बालगृह : 

शासकीय बाल गृह, नूतन काॅलोनी चौक, सरकंडा, बिलासपुर, बालगृह (बालिका)

 दत्तक ग्रहण स्थापन एजेन्सी -

परित्यक्त तथा समर्पित बच्चे जिन्हें दत्तक पर दिया जाना होता है,उन बच्चों के लिए कार्यवाही दत्तक ग्रहण स्थापन एजेन्सी द्वारा की जाती है। इनकी क्षमता 10 बच्चों की होती है। वर्तमान में राज्य में रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर (दो ईकाई),रायगढ, दंतेवाडा,महासमुंद,कांकेर,कवर्धा, जशपुर एवं अम्बिकापुर में दत्तक ग्रहण एजेन्सी स्थापित है।

गैर संस्थागत देखरेख कार्यक्रम

1 स्पांसरशिप कार्यक्रम

इस कार्यक्रम के अंतर्गत देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों को 2 हजार रूपये प्रतिमाह के मान से अधिकतम तीन वर्ष के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करते हुए बच्चे के जैविक माता-पिता के सान्निध्य में रखते हुए बच्चे की सुरक्षा एवं संरक्षण सुनिश्चित किया जाना होता है। यह कार्यवाही किशोर न्याय (देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 के प्रकाश में की जाती हैं।

2. फास्टर केयर कार्यक्रम-

फास्टर केयर कार्यक्रम के अंतर्गत पारिवारिक देखरेख से वंचित बच्चों को अधिकतम तीन वर्ष के लिए किसी उपयुक्त व्यक्ति/परिवार की देखरेख में रखा जा सकता है ताकि बच्चे की सुरक्षा एवं सरंक्षण सुनिश्चित हो सके। योजना के अंतर्गत बच्चे की देखभाल के लिए उपयुक्त व्यक्ति/संस्था को 2 हजार रूपये प्रतिमाह की वित्तीय सहायता प्रदान करने का प्रावधान है। यह कार्यवाही किशोर न्याय (देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015,के प्रकाश में की जाती हैं।

3. आफ्टर केयर कार्यक्रम - 

यह कार्यक्रम उन बच्चों के लिए है जो संस्थागत देखरेख में है एवं 18 वर्ष की आयु पूरी कर लेने के पश्चात् सामाजिक/शारीरिक /मानसिक/आर्थिक रूप से स्वयं की देखभाल करने मे असमर्थ है। आफ्टर केयर कार्यक्रम के अंतर्गत ऐसे बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए उन गतिविधियों की व्यवस्था की जाती है जिससे वह स्वयं को सामाजिक/शारीरिक/मानसिक/आर्थिक रूप से सशक्त करते हुए समाज की मुख्य धारा से जोड़ सके। योजना के अंतर्गत बच्चे की देखभाल के लिए 2 हजार रूपये प्रतिमाह की वित्तीय सहायता अधिकतम 03 वर्ष अथवा 21 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, प्रदान करने प्रावधान है।

 

राज्य में संचालित बाल देखरेख संस्थाओं का अनिवार्य पंजीयन -

किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 41के अनुपालन में राज्य में संचालित सभी बाल देखरेख संस्थाओं के निरीक्षण उपरांत अनिवार्य पंजीयन किया जाना है। प्रावघानके अनुपालन में राज्य शासन द्वारा समाचार पत्र में सूचना जारी कर सभी बाल देखरेख संस्थाओं को पंजीकरण हेतु आवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिये गये। तत्पश्चात् जिला कलेक्टर की अनुशंसा पर बाल देखरेख संस्थाओं को पंजीकृत/प्रावधिक पंजीकरण देते हुए किशोर न्याय अधिनियम के मापदण्डों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिये गये है।

 

एकीकृत बाल संरक्षण योजना के अंतर्गत वैधानिक ईकाईयाँ

बाल कल्याण समिति

1.     किशोर न्याय अधिनियम के अन्तर्गत बाल कल्याण समिति सुरक्षा एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों के संबंध में निर्णय देने के लिए सक्षम प्राधिकारी है । राज्य के सभी 27 जिलों में बालक कल्याण समिति गठित है ।

2.     समिति में एक अध्यक्ष एवं 4 सदस्य (एक महिला सदस्य) होते हैं। यह समिति मजिस्टेªट के रूप में कार्य करती है और इन्हें वह सभी शक्तियां प्राप्त है जो दंड प्रक्रिया संहिता 1973 (1974 का दो) द्वारा किसी महानगरीय न्यायिक मजिस्ट्रेट  को प्रदत्त की गई है ।

3.     समिति का गठन राज्य स्तरीय चयन समिति जो कि उच्च न्यायालय के सेवा निवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित की गई है, के द्वारा किया जाता है ।

किशोर न्याय बोर्ड -

1.     किशोर न्याय अधिनियम के अन्तर्गत विधि का उल्लंघन करने वाले बालकों के संबंध में निर्णय देने के लिए सक्षम प्राधिकारी किशोर न्याय बोर्ड है ।

2.     बोर्ड में एक अध्यक्ष एवं दो सदस्य (एक महिला सदस्य) होते हैं । बोर्ड के अध्यक्ष प्रथम श्रेणी के न्यायिक मजिस्टेªट हैं जबकि सदस्यों के रूप में सामाजिक कार्यकर्ता का चयन राज्य स्तरीय चयन समिति द्वारा किया जाता है ।

3.     राज्य के सभी 27 जिलों में किशोर न्याय बोर्ड गठित है।

विशेष किशोर पुलिस इकाई -

1.     किशोर न्याय अधिनियम की धारा 107 के प्रावधानों के अनुसार पुलिस प्रशासन द्वारा सभी पुलिस जिलो में विशेष किशोर पुलिस इकाई का गठन किया गया है।

2.     इकाई के अन्तर्गत उप पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी बालक कल्याण अधिकारी के रूप में नामित है।

3.     यह इकाई देखेरख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों एवं विधि विरूद्ध कार्य करने वाले बालकों के मामलों को सक्षम प्राधिकारी तक पहुंचाती है ।

समेकित बाल संरक्षण योजना के अन्य कार्यकलाप:-

चाइल्डलाइन(1098)द्वारा आकस्मिक सेवा

1.     चाइल्डलाइन सुरक्षा एवं देख-रेख के जरूरतमंद बच्चों के लिए 24 घंटे आकस्मिक फोन सेवा है जो उन्हें आपातकालीन सेवा एवं दीर्घावधि देख-रेख एवं पुनर्वास सेवाओं से जोड़ती है। इस सेवा का प्रयोग कोई भी संकटग्रस्त बच्चा या उसकी ओर से कोई अन्य 1098 (टोल फ्री नं.) पर फोन कर सकता है। 

 अभी रायपुरदुर्गराजनांदगांवबिलासपुररायगढ़जशपुरबस्तरदंतेवाडाकबीरधामकोरबा,   अम्बिकापुर,  कोरियाबलरामपुर एवं सूरजपुर में चाइल्ड लाईन की सेवाऐं उपलब्ध है।

2.     विकासखंड एवं पंचायत स्तर पर बाल संरक्षण समितियों का गठन किया जा रहा है। बाल संरक्षण समितियों के माध्यम से मैदानी स्तर पर बच्चों के देखरेख एवं संरक्षण की कार्यवाही में मदद मिलेगी।

००००००००००००००००००००००००००००००००००००००

राष्ट्रीय न्यास अधिनियम, 1999 की धारा 13 (1) के अनुसार, बोर्ड समय-समय पर इस तरह के क्षेत्रों को निर्दिष्ट करने के लिए एक स्थानीय स्तरीय समिति का गठन करेगा।

धारा 13 (2) के अनुसार एक स्थानीय स्तरीय समिति में निम्नलिखित सदस्य होंगे -

  1. संघ या राज्य की प्रशासनिक सेवा का एक अधिकारी, जिसका पद जिला मजिस्ट्रेट या एक जिला आयुक्त से नीचे नहीं होना चाहिए;
  2.  A पंजीकृत संगठन का एक प्रतिनिधि; और; and
  3.  A विकलांगता अधिनियम, 1995 (1996 की 1) की धारा 2 कि परिभाषा (समान अवसर, अधिकार एवं पूर्ण भागीदारी के संरक्षण) के अनुसार एक दिव्यांगजन सहयोजित अतिरिक्त सदस्य

स्थानीय स्तरीय समिति को कामकाज में उनकी सहायता करने के लिए वैधानिक सदस्यों के अलावा सहयोजित सदस्य के रूप में निम्नलिखित को शामिल करने के लिए सलाह दी गई है। 

1.     जिला सामाजिक न्याय अधिकारी/जिला कल्याण अधिकारी/जिला पुनर्वास अधिकारी,

2.     सिविल शल्य-चिकित्सक या मुख्य चिकित्सा अधिकारी,

3.     जिला अस्पताल के मनोचिकित्सक

4.     जिले के प्रतिष्ठित वकील

5.     इसके अलावा स्थानीय स्तरीय समिति मामले में न्याय प्रदान करने और प्रभावी कार्यकरण के लिए किसी भी अन्य सरकारी अधिकारी या विकलांगता विशेषज्ञों को शामिल कर सकती है।

स्रोत --इसके अलावा स्थानीय स्तरीय समिति मामले में न्याय प्रदान करने और प्रभावी कार्यकरण के लिए किसी भी अन्य सरकारी अधिकारी या विकलांगता विशेषज्ञों को शामिल कर सकती है।


Comments

Popular posts from this blog

चिल्ड्रन डे की ढ़ेरों बधाईयां

  मेरे प्यारे नन्हें बच्चों!   पहले, मैं सभी बच्चों को इस दिन की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ देना चाहता हूँ। आप सभी इस दुनिया का सबसे अनमोल हिस्सा हैं। आपके शिक्षक उम्र और तजुर्बे में आपसे काफी बड़े है, बढ़ती उम्र उनके माथे में अनायास सिकन लाती है l दुनियाभर की बेमतलब जिम्मेदारियों के बोझ में शिक्षक को सुकून तब मिलता है जब आपका मुस्कुराता हुआ चेहरा सामने आता है l आपको शायद अभी इसका अहसास न हो, लेकिन इस बात में कोई दो राय नहीं है कि आप सभी उस ईश्वर/भगवान या उस अलौकिक परमतत्व के प्रतिरूप है l  चिल्ड्रन डे, जो कि हमारे प्रिय पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन पर मनाया जाता है, हमें यह याद दिलाता है कि बच्चों का भविष्य हमारे समाज का भविष्य है। नेहरू जी ने हमेशा बच्चों के विकास और शिक्षा को प्राथमिकता दी। उन्होंने कहा था कि "बच्चे हमारे भविष्य हैं," और यही कारण है कि हमें उन्हें प्यार, देखभाल और सही दिशा में मार्गदर्शन देना चाहिए। आज का दिन सिर्फ उत्सव मनाने के लिए नहीं हैं, बल्कि हमें यह भी सोचना है कि हम बच्चों को कैसे एक सुरक्षित, खुशहाल और समृद्ध जीवन दे सकते हैं। हमें बच्चों क...

भारत का सर्वोच्च न्यायालय

  संगठन चार्ट प्रधान सचिव रजिस्ट्रार (न्यायिक सूचीकरण) अतिरिक्त रजिस्ट्रार उप रजिस्ट्रार सहायक रजिस्ट्रार / एआर-सह-पीएस शाखा अधिकारी/कोर्ट मास्टर व्यवहार करने वाले अधिकारी रजिस्ट्रार (न्यायिक प्रशासन) अतिरिक्त रजिस्ट्रार उप रजिस्ट्रार सहायक रजिस्ट्रार शाखा अधिकारी व्यवहार करने वाले अधिकारी रजिस्ट्रार (खरीद एवं भंडार) अतिरिक्त रजिस्ट्रार उप रजिस्ट्रार सहायक रजिस्ट्रार शाखा अधिकारी व्यवहार करने वाले अधिकारी रजिस्ट्रार-I (गोपनीय कक्ष) अतिरिक्त रजिस्ट्रार उप रजिस्ट्रार सहायक रजिस्ट्रार शाखा अधिकारी व्यवहार करने वाले अधिकारी रजिस्ट्रार (न्यायाधीश प्रशासन एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंध) अतिरिक्त रजिस्ट्रार उप रजिस्ट्रार सहायक रजिस्ट्रार शाखा अधिकारी व्यवहार करने वाले अधिकारी रजिस्ट्रार (प्रौद्योगिकी) अतिरिक्त रजिस्ट्रार उप रजिस्ट्रार सहायक रजिस्ट्रार(कंप्यूटर) शाखा अधिकारी व्यवहार करने वाले अधिकारी/ तकनीक. सहायक-सह-प्रोग्रामर रजिस्ट्रार-II (गोपनीय कक्ष) अतिरिक्त रजिस्ट्रार उप रजिस्ट्रार सहायक रजिस्ट्रार शाखा अधिकारी व्यवहार करने वाले अधिकारी रजिस्ट्रार (न्यायालय एवं भवन) अतिरिक्त रजिस्ट्रार उप...

छत्तीसगढ़ राज्य महिला एवं बाल विकास विभाग

                 महिला एवं बाल विकास विभाग की योजनाएं  नवाबिहान योजना घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 के क्रियान्वयन के लिए राज्य शासन द्वारा नवाबिहान योजना संचालित है। अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार प्रत्येक जिले में महिला संरक्षण अधिकारी की पदस्थापना की गई है।   सुविधा व सहायताः -योजना के अंतर्गत पीड़ित महिला को आवश्यकतानुसार विधिक सलाह , परामर्श , चिकित्सा , सुविधा , परिवहन तथा आश्रय सुविधा उपलब्ध कराने हेतु प्रावधान रखा गया है।   सम्पर्कः-जिला कार्यक्रम अधिकारी/जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी/ परियोजना अधिकारी/संरक्षण अधिकारी/सखी के केन्द्र प्रशासक। बिलासपुर : सुश्री सीमा गोस्वामी 70897-30583 विभागीय योजनाये 1.      नवाबिहान योजना 2.      स्वावलंबन योजना 3.      सक्षम योजना 4.      ऋण योजना 5.      संस्कार अभियान 6.      मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजना 7. ...