संस्कार अभियान
संस्कार अभियान का मुख्य उद्देश्य गर्भ धारण से 06 वर्ष की आयु तक बच्चों के सर्वांगीण विकास हेतु आवश्यक आधार भूत संरचना , वातावरण एवं गुणवत्ता पूर्ण सेवाएं उपलब्ध कराते हुए आंगनबाड़ी केन्द्रों का उन्नयन करना है।संस्कार अभियान के अंतर्गत आंगनवाड़ी केन्द्रों का आकर्षक रंग रोगन , बच्चों के बैठने की जगह , विभिन्न गतिविधियों के लिए स्थान का चिन्हांकन , बच्चों की सुविधा के अनुरूप विभिन्न शैक्षणिक सामग्री का प्रदर्शन , आकर्षक वातावरण का निर्माण , प्रत्येक वस्तु हेतु निर्धारित स्थान एवं सुव्यवस्थित कक्ष जैसी बातों पर ध्यान दिया गया है।
संस्कार अभियान के तहत आंगन बाड़ी केन्द्रों को संसाधन सामग्री उपलब्ध कराई गई है , जिसमें प्रारंभिक बाल्या वस्था देख रेख एवं शिक्षापाठ्य चर्या]आंगनबाड़ी केंद्र में शालापूर्व शिक्षा प्रदाय के लिए 52 सप्ताह के समय – सारिणी , लगभग 360 गतिविधि युक्त गतिविधि कोष]थीम पुस्तिका ]3-6 वर्ष के बच्चों के लिए आयु अनुसार पृथक-पृथक गति विधि पुस्तिकाए वं बाल आकलन पत्रक शामिल है।
1.
अभियान अंतर्गत गुणवत्तापूर्ण
प्रारंभिक बाल्यावस्था देख रेख एवं शिक्षा प्रदाय हेतु विभागीय अमले का क्षमता
संवर्धन किया गया है।राज्यस्तर पर 1600 से अधिक प्रतिभागियों तथा जिलास्तर पर लगभग
49000 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सघन जीवंत प्रशिक्षण दिया गया।
2.
संस्कार अभियान के तहत 03 से 06 वर्ष
के बच्चों को आंगनबाड़ी केन्द्रों में निर्धारित समय सारिणी अनुसार शालापूर्व
शिक्षा प्रदान की जा रही है।
3.
इस वर्ष के अंत में द्वितीय चरण का
प्रशिक्षण प्रारंभ किया जा रहा है जिसमें विभागीय अमले को विशिष्ट विकास क्षेत्र
आधारित चार-चार दिवसीय प्रशिक्षण दिये जाने का प्रस्ताव है।
4.
प्रथम चरण में लगभग 49]000 आंगनबाड़ी
कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया जा चुका है।
मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजना
मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजना वर्ष 2009 से प्रारंभ की गई है।गंभीर कुपोषित बच्चों को कुपोषण के चक्र से बाहर लाकर कुपोषण की दर में कमी हेतु योजना का संचालन किया जा रहा है।योजना के तहत गंभीर कुपोषित एवं संकटग्रस्त बच्चों को चिकित्सकीय परीक्षण की सुविधा , चिकित्सक द्वारा लिखी गई दवाएं तथा आवश्यकतानुसार बाल रोग विशेषज्ञों की परामर्श की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।
1.
प्रत्येक विकासखंड में माह में 2 दिवस
संदर्भ दिवस के रूप में चिन्हांकित करने का प्रयास।
2.
बच्चों के संक्रमण की पहचान।
3.
निजी चिकित्सा परीक्षण संस्थान में
अधिकतम 300/-रूपये सीमा तक स्वास्थ्य जाWच की
व्यवस्था।
4.
एक हितग्राही को वर्ष भर में अधिकतम
500/-रूपये तक की दवाएं तथा आवश्यकता होने पर चिकित्सा अधिकारी के परामर्श से इससे
अधिक राशि की दवाए भी उपलब्ध कराई जा सकेगी।
5.
निजी शिशु रोग विशेषज्ञ की सेवा पर
सम्मान स्वरूप 1000/- रूपये का मानदेय एवं 500/-रुपये तक यात्रा व्यय का प्रावधान।
इसके
अतिरिक्त वर्ष 2016&17 से आवश्यकता पड़ने पर कुपोषित
बच्चों के परिवहन के लिए भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को राशि उपलब्ध कराई गई है।
Comments
Post a Comment