स्वतंत्र लेखन मेरे लिए केवल शब्दों का संकलन नहीं, बल्कि भावनाओं और विचारों की अभिव्यक्ति का एक सशक्त माध्यम है। यह लेखन तभी सार्थक होगा जब पाठकों का आशीर्वाद, मार्गदर्शन और सहयोग इसके साथ जुड़ा रहेगा। लेखन की यात्रा में कभी विचारों का विस्तार होगा, तो कभी प्रश्न और शंकाएँ भी सामने आएँगी। ऐसे में पाठकों का स्नेह मेरे लिए प्रेरणा और दिशा दोनों का कार्य करेगा। मैं हृदय से विनम्र अपील करता हूँ कि आप सभी अपने सुझाव, समर्थन और आशीर्वाद प्रदान कर इस स्वतंत्र लेखन को और अधिक सार्थक एवं प्रभावशाली बनाने में सहभागी बनें। आज दिनांक ०४ सितम्बर को फिर से ब्लॉग के माध्यम से आपके अंतर्मन की गुदगुदी को शब्दों में पिरोने की कोशिश करूँगा । -सत्येन्द्र (गुड्डा भईया बिरकोना वाले)
ग्राम पंचायतों में ज्ञानोदय वाचनालय की स्थापना:- राज्य के समग्र विकास के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में लोकतांत्रिक संस्थाओं को और अधिक पारदर्शी और सुदृढ़ बनाया जाना आवश्यक है। इसके लिए ग्रामीणों , विशेषकर युवाओं में ज्ञान एवं कौशल क्षमता को विकसित किया जाना होगा। आधुनिक संचार सुविधाओं की पहुंच गांव तक सुनिश्चित होने से वैश्विक परिर्वतन , राष्ट्रीय- अंतराष्ट्रीय घटनाक्रम की जानकारी ग्रामीण युवाओं को हो सकेगी। इससे उनके आत्मविश्वास में वृद्धि होगी तथा राष्ट्रीय- अंतर्राष्ट्रीय स्तर के प्रतिस्पर्धा में भाग लेने के लिए तत्पर रहेंगे। व्यक्ति के ज्ञान का विस्तार करने के लिए पुस्तके बहुत उपयोगी है। औसत वर्ग का व्यक्ति अपनी रूचि अनुसार महंगी पुस्तके नहीं खरीद सकता और न ही उसकी देख रेख कर सकता। इसलिए वह शिक्षा से वंचित रह जाता है , परंतु पुस्तकालय (लाइब्रेरी) के माध्यम से वह सभी प्रकार के पुस्तके पढ़ सकता है , और अपने ज्ञान में वृद्धि कर सकता हैं। सामाजिक अंकेक्षण इकाई महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी स्कीम की लेखा परीक्षा नियम 2011 की कंडिका 4(1) के तहत राज्य में सामाजिक अं...